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शनिवार, 24 सितंबर 2016

देश भर में सबसे महंगी हुई राजस्थान में बिजली

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प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं पर सरकार की मार लगातार बढ़ती जा रही है। अगर पड़ोसी राज्यों से तुलना की जाए तो राजस्थान इकलौता ऐसा प्रदेश बन गया है, जहां मध्यमवर्ग के परिवारों को भी लगभग 7 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिल का भुगतान करना पड़ रहा है। 
नए आदेशों के अनुसार को सितम्बर माह से बिजली उपभोग राशि का भुगतान नई दरों से करना होगा। बिजली कंपनियों ने गठन के बाद सातवीं बार बिजली दरों में बढ़ोतरी की है। यही नहीं पड़ोसी राज्यों में तुलना में प्रदेश में बिजली दरों में प्रदेश अव्वल नंबर पर आ गया है। 
बिजली दरों के मामले में पड़ोसी राज्यों में श्रेणीवार बिजली दरों की तुलना में प्रदेश में बिजली दरें सर्वाधिक हो चुकी हैं और बिजली कंपनियों के वित्तीय घाटे में हो रही लगातार बढ़ोतरी व उदय योजना में मिले अनुदान की शर्तों के अनुसार बिजली कंपनियों को मिली छूट से आगामी समय में फिर से बिजली दरों में बढ़ोतरी होना भी लगभग तय है। 
गलती कंपनियों की, भुगते जनता
बीते कुछ वर्षों में बिजली कंपनियों ने विद्युत उत्पादन कर रही कंपनियों से महंगी दरों पर बिजली खरीद की, जिसके चलते करोड़ों रुपए का अतिरिक्त भार कंपनियों पर पड़ा है। वहीं अब घाटे और वित्तीय भार की भरपाई कंपनियां प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं से कर रही हैं। प्रदेश में राष्ट्रीय औसत से ज्यादा दरों पर हो रही बिजली खरीद बिजली कंपनियों के संचित घाटे को बढ़ा रही है वहीं छीजत और चोरी रोकने में नाकाम रही बिजली कंपनियों ने घाटे की भरपाई बिजली उपभोक्ताओं पर डालने की कार्यशैली अपना ली है। 
छीजत- चोरी ने बढ़ाया घाटा 
प्रदेश की बिजली वितरण निगमों में अब भी बिजली छीजत का ग्राफ 25 से 35 फीसदी तक बना हुआ है वहीं बिजली चोरी मामले में कई जिलों में छीजत 35 फीसदी तक रही है। राज्य सरकार के निर्देशों के बावजूद बिजली कंपनियां चोरी व छीजत रोकने में प्रभावी कार्रवाई करने में नाकाम रही हैं। इसके उलट बिजली कंपनियों ने चोरी छीजत पर लगाम कसने के लिए संबंधित क्षेत्र के अभियंताओं के वेतन भत्ते में कटौती की तलवार भी लटकाई लेकिन नतीजा सिफर रहा है।