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गुरुवार, 12 जुलाई 2012

अपराजेय पहलवान रस्तमे हिन्द दारा सिंह रन्धावा



पहलवानी से लेकर फिल्मों में अपना जलवा दिखाने वाले रस्तमे हिन्द दारा सिंह रन्धावा का जन्म पंजाब में अमृतसर के धरमूचक गांव में जाट सिख परिवार में 19 नवंबर 1928 को हुआ था। बचपन से ही बलिष्ठ शरीर के दारा सिंह को पहलवानी का शौक रहा और अपने लाडले के इस शौक को पूरा करने में उनके पिता सूरत सिंह और माता बलवन्त कौर ने कोई कसर नहीं छोड़ी। 

बताया जाता है कि उनकी माताजी उन्हें भैंस के दूध के साथ बादाम की गिरियां, मक्खन और खांड में कूटकर खिलाती थीं और यही देसी नुस्खा इस पहलवान की अपराजेयता में संजीवनी का काम करता रहा। दारा सिंह और उनके छोटे भाई सरदारा सिंह ने कम उम्र में ही पहलवानी शुर कर दी और धीरे-धीरे गांव के अखाड़ों से लेकर देश-विदेश में अपने गांव का नाम रोशन किया।

मलेशियाई कुश्ती चैम्पियन बने - 
दारा सिंह 1947 में सिंगापुर चले गए और उन्होंने वहां भारतीय स्टाइल की कुश्ती में मलेशियाई पहलवान तरलोक सिंह को हराकर मलेशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप जीती और फिर उन्होंने पेशेवर पहलवान के रप में सभी देशों में अपनी धाक जमा दी। 

विश्व चैम्पियन किंगकांग को चटाई धूल - 
दारा सिंह ने पेशेवर पहलवान के रूप में विदेशों में जमकर कुश्तियां लड़ीं और 1952 में भारत आए और यहां भी कुश्तियां लडते हुए 1954 में भारतीय चैम्पियन का खिताब हासिल किया। उन्होंने सभी राष्ट्रमंडल देशों में कुश्तियां लड़ीं और विश्व चैम्पियन किंगकांग को धूल चटाई।

1959 में राष्ट्रमंडल चैम्पियन बने - 
दारा सिंह ने 1959 में कलकत्ता में राष्ट्रमंडल कुश्ती चैम्पियनशिप में कनाडा के चैम्पियन जार्ज गर्डियान्को और न्यूजीलैंड के जान डिसिल्वा के गुरर को तोड़ा और यह चैम्पियनशिप अपने नाम कर ली।

अपराजेय रहे - 
वे फ्री स्टाइल कुश्तियों में एक मिसाल बन गए और 29 मई 1968 को अमरीका के विश्व चैम्पियन लाऊ थेज को हराकर प्री स्टाइल कुश्ती का विश्व चैम्पियन खिताब जीता। उन्होंने 1983 में कुश्ती से संन्यास लिया था और उस समय तक उन्हें अपराजेय पहलवान का दर्जा हासिल था। उन्होंने 500 से अधिक पेशेवर प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। 

देश का सबसे सफल शहर है दिल्ली



उद्यमियों और पेशेवर लोगों के लिए दिल्ली देश का सबसे सफलता वाला शहर है जिसे प्रतिस्पर्धा सूची में लगातार तीसरी बार पहला स्थान हासिल हुआ है।

राजधानी से सटे हरियाणा के गुडगांव को सफलता की दृष्टि से छठा स्थान मिला है जबकि उत्तर प्रदेश का नोएडा सफल दस प्रमुख शहरों की सूची में आठवें स्थान पर है। हरियाणा का ही फरीदाबाद नगर भी उच्च वृद्धि दर के कारण प्रतिस्पर्धा सूची में 29वें स्थान पर है।

देश की आर्थिक राजधानी के रुप में स्थापित मुंबई नगर प्रतिस्पर्धा की दृष्टि से दिल्ली से आगे नहीं निकल पाया। हालांकि उसने अपना दूसरा स्थान कायम रखा है। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई ने अपनी स्थिति में सुधार करते हुए तीसरे स्थान को हासिल किया।
एक प्रमुख अध्ययन संस्था प्रतिस्पर्धा संस्थान की ओर से वर्ष 2012 की रिपोर्ट में देश के पचास नगरों का आंकलन किया गया है। यह रिपोर्ट यहां एक समारोह में जारी की गई जिसमें सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग और प्रमुख उद्यमी उपस्थित थे।

प्रतिस्पर्धा की दृष्टि से सफल पहले दस नगर इस प्रकार हैं: दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, गुड़गांव, बेंगलूरु, नोएडा, अहमदाबाद और पुणे हैं।

अपेक्षाकृत छोटे शहरों में उत्तर प्रदेश के नगर पिछड़ रहे हैं तथा प्रतिस्पर्धा सूची में लखनऊ, आगरा और इलाहाबाद निचले स्थानों पर खिसक गए हैं। दूसरी ओर कोयम्बटूर, मैसूर और मदुरै और गुवाहटी जैसे शहर ऊपर आ गए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार राजधानी दिल्ली की सफलता का राज यहां उच्च आर्थिक दर और मांग एवं विकास के बीच संतुलन कायम रहना है। हालांकि रिपोर्ट में दिल्ली के प्रशासन और संस्थागत व्यवस्था में सुधार जरुरत बताई गई है।

सब दुखी हैं 'हनुमान' की मौत पर



 दारा सिंह के निधन के बाद पूरे बॉलीवुड और उनके प्रशंसको के बीच दुख की लहर फैल गई है। कलाकारों से लेकर आम आदमी तक अपने फेवरिट हीरो को अंतिम विदाई दे रहा है। दारा सिंह के निधन पर किसने क्‍या कहा, जानिए यहां।
अमिताभ बच्‍चन ने कहा है कि आज सुबह दारा सिंह जी नहीं रहे। एक महान भारतीय और बेहतरीन इंसान। गया। उनकी मौजूदगी में बिताया गया पूरा एक युग खत्‍म हो गया।

महेश भट्ट 
कहते हैं कि मैं बचपन से ही दारा सिंह का फैन था। उनके जाने से दुनिया उजड़ गई, ऐसा ही कुछ लग रहा है।
मिथुन  चक्रवर्ती ने कहा कि मैं उनके जाने को शब्‍दों में बयान नहीं कर सकता हूं। मैं उनका बचपन से फैन था। वह बहुत अच्‍छे इंसान थे। उनके जाने से मुझे काफी नुकसान हुआ है।
भाग्‍यश्री  कहतीहैं कि मजबूत शरीर की पहचान दारा सिंह जी हमारे साथ नहीं रहे। भगवान उनकी आत्‍मा को शांति दे।
 
गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी  ने दारा सिंह की मौत पर दुख जताते हुए कहा कि अखाड़े से लेकर बड़े परदे तक पर उन्‍होंने कई पीढ़ियों का दिल जीता। भगवान उनकी आत्‍मा को शांति दे।
मनोज वाजपेयी कहते हैं कि मजबूत शरीर की पहचान दारा सिंह जी हमारे साथ नहीं रहे। भगवान उनकी आत्‍मा को शांति दे।